आज की इस भागदौड़ भरी तनावपूर्ण जिंदगी में फंगल इन्फेक्शन होना आम बात हो गई है 70 से 80% लोग फंगल इन्फेक्शन से पीड़ित हैं छोटे से रूप से शुरू होने वाला फंगल
Fungal Infections in hindi
इनफेक्शन Fungal Infections धीरे-धीरे शरीर में इतनी गहराई तक अपनी जड़ें जमा लेता है और फिर फंगल इन्फेक्शन Fungal Infections इतना ताकतवर हो जाता है कि दवाइयां भी उस पर बेअसर रहती हैं फंगल इन्फेक्शन Fungal Infections पीड़ित व्यक्ति के द्वारा किसी को छूने उसका तोलिया साबुन या अन्य कोई शारीरिक संपर्क में रहने वाली चीजों से भी हो सकता है
Fungal Infections in hindi
फंगल इन्फेक्शन Fungal Infections in hindi गर्मी तथा बरसात के मौसम में बहुत तेजी से फैलता है यह है रोगाणुओं की तरह होता है इनमें से कुछ उपयोगी तथा कुछ हानिकारक कवक होते हैं यही हानिकारक कवक जब हमारे शरीर पर हमला करते हैं तो उन्हें मारना बहुत मुश्किल भरा होता है क्योंकि पे हर तरह के पर्यावरण मे जीवित रह सकते हैं।
Fungal Infections in hindi
फंगल इन्फेक्शन Fungal Infections होने के मुख्य कारण–
शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने से भी फंगल इनफेक्शन Fungal Infections शरीर में अपनी जड़ें जमा लेता है ।
जो लोग गर्म तथा नम वातावरण में रहते हैं वह अक्सर फंगल इन्फेक्शन Fungal Infections का शिकार होते हैं ।
जो व्यक्ति एड्स एचआईवी संक्रमण मधुमेह और कैंसर जैसी जटिल बीमारियों की गिरफ्त में होते हैं उनको भी यह फंगल इनफेक्शन Fungal Infections वाला संक्रमण आसानी से हो जाता है ।
अधिक वजन और मोटापा तथा शरीर के मेटाबॉलिज्म का बिगड़ना भी फंगल इनफेक्शन Fungal Infections को बढ़ावा देता है ।
अधिक पसीना का आना भी कवक या फंगल इनफेक्शन Fungal Infections को बढ़ावा देता है ।
पहले से फंगल इनफेक्शन Fungal Infections से पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आने से भी प्रभावित जगह के छूने यह हाथ मिलाने से भी फंगल इन्फेक्शन Fungal Infections की प्रबल संभावना होती है।
अनुवांशिक कारण भी फंगल इन्फेक्शन Fungal Infections का कारण हो सकता है।
Fungal Infections in hindi
फंगल इन्फेक्शन के लक्षण Fungal Infections Symptoms In Hindi-
फंगल इन्फेक्शन Fungal Infections से प्रभावित जगह पर लाल लाल लालिमा छाले या गोल गोल चकत्ते पड़ जाना
फंगल इन्फेक्शन Fungal Infections से प्रभावित जगह पर पपड़ी के रूप में खाल झड़ना या निकलना ।
फंगल इन्फेक्शन Fungal Infections से प्रभावित या संक्रमित जगह में खुजली तथा जलन होना इसमें रोगी को रात के समय खुजली बहुत अधिक होती हैं ।
फंगल इन्फेक्शन Fungal Infections से प्रभावित जगह पर सफेद दाग हो जाना उस पर अत्यधिक खुजली होना ।
त्वचा का रूखापन आना तथा उस में दरारे पड़ जाना।
Fungal Infections in hindi
फंगल इनफेक्शन के प्रकार Types Of Fungal Infections In Hindi-
(1)एथलीट फुट Athlete’s Foot-
एथलीट फुट एक बहुत सामान्य सा फंगल इनफेक्शन Fungal Infections है जिसमें फंगल गरम वा नम वातावरण मैं अपने आप को बढ़ाता जाता है इस प्रकार के फंगल इनफेक्शन को टीनिया पेडीस (Tinea Pedis) के नाम से भी जाना जाता है जो मुख्यतः रोगी के पैरों को प्रभावित करता है यह फंगल इनफेक्शन पैर की उंगलियों के बीच अधिकतर होता है।
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(2)दाद Ringworm-
दाद या रिंगवॉर्म एक फंगल इनफेक्शन Fungal Infections का ही प्रकार है इसमें लालगोला कार चकत्ते हो जाते हैं जो की खुजली तथा रूखी त्वचा का भी कारण बनते हैं।
Fungal Infections in hindi
(3)यीस्ट इनफेक्शन Yeast Infection-
ईस्ट संक्रमण कैंडिडा अल्विकनस (Candida Albicans) नामक यीस्ट के कारण होता है यह एक समान स योनी यीस्ट संक्रमण है। यह संक्रमण योनि के अंदर कैंडिडा के बढ़ने से बैक्टीरिया और यीस्ट (खमीर) के बीच संतुलन बिगड़ने के कारण उत्पन्न होता है इस प्रकार की स्थिति में खमीर की कोशिकाएं आपस में वृद्धि करने लगती हैं और यह संक्रमण योनि में तीव्र खुजली सूजन तथा जलन का कारण भी बनता है।
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(4)जॉक इच Jock Itch-
जो बीच फंगल इनफेक्शन Fungal Infections जिसे आमतौर पर टीनिया क्रूसिस (Tinea Crusis) के रूप में जाना जाता है इस कवक के लिए गर्म और नम वातावरण अधिक फ्रेंडली या इसके अनुकूल माना जाता है यह शरीर के नम क्षेत्र जैसे पेट और जांघ के बीच का हिस्सा (Groin) कूल्हे और आंतरिक जांघ ( inner thighs) में यह अधिक तेजी से पनपते हैं तथा गर्मी के समय या गर्म वातावरण में यह बहुत गंभीर हो जाते हैं।
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(5) नाखून कवक nail fungus-
नाखून कवक भी फंगल इनफेक्शन Fungal Infections का ही एक रूप है मुख्य रूप से विकृत भंगुर (टूटने योग्य) और मोटे नाखूनों या पैर के नाखूनों को प्रभावित करने वाला फंगल इनफेक्शन है यह फंगल इनफेक्शन सामान्यता अधिक उम्र के व्यक्तियों तथा बुजुर्गों में होना साधारण सी बात है सूखे तथा स्वच्छ मोजे पहनकर और अपने पैरों को स्वच्छ तथा सूखा रखकर इस फंगल इनफेक्शन Fungal Infections को रोका जा सकता है।
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एलोपैथी में क्या है फंगल इनफेक्शन Fungal Infections का इलाज treatment of fungal infection in allopathy-
अगर इसके इलाज की बात की जाए तो एलोपैथी पद्धति में इसके लिए मुख्य रूप से केवल 4 दवाएं हैं जो कि निम्न प्रकार हैं
टरबीनाफाइन (terbinafine)
फ्लूकोनाजोल (fluconazole)
कीटोकोनाजोल (ketoconazole)
क्लोट्रिमाजोल (clotrimazole)
अगर इन दवाओं के प्रभाव की बात की जाए तो इन दवाओं का प्रभाव बस इतना सा है यह कुछ समय के लिए फंगल इनफेक्शन को रोक देती हैं लेकिन यह सारी दवाएं उसे जड़ से खत्म नहीं कर पाती इन दवाओं का सेवन करते रहने तक फंगल इन्फेक्शन में राहत रहती है लेकिन जैसे ही दवा का सेवन रोका जाता है तो यह फंगल इनफेक्शन फिर से अपने भयानक रूप में रोगी को जकड़ लेता है साथ ही साथ इन दवाओं के बहुत सारे साइड इफेक्ट भी हैं।
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लेकिन होम्योपैथी पद्धति में फंगल इन्फेक्शन Fungal Infections का रामबाण इलाज मौजूद है जोकि फंगल इनफेक्शन में बहुत कारगर साबित होता है जिसको हम लोग विल्मर स्किन फार्मूला के रूप में जानते हैं जोकि फंगल इनफेक्शन के साथ साथ त्वचा के सभी रोगों का समूल नाश करता है जो की प्रसिद्ध होम्योपैथी विशेषज्ञ डॉ कीर्ति विक्रम सिंह जी के द्वारा बताया गया है।
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होम्योपैथी में फंगल इन्फेक्शन का इलाज treatment of fungal infection in homeopathy-
विल्मर स्किन फार्मूला wilmer skin formula मुख्य रूप से 4 दवाओं का मिश्रण तैयार किया जाता है
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सल्फर (sulphur) 6ch
आर्सेनिक एल्बम (arsenic album) 6ch
एंटीमोनियम क्रूडूम (antimonium crudum) 6ch
पेट्रोलियम (petroleum) 6ch
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आपको ऊपर दी हुई दवाएं किसी भी होम्योपैथी मेडिकल स्टोर पर बड़ी ही आसानी से मिल जाएगी जो कि 300-350₹के अंदर आ जाएंगी आपको इन सभी दवाओं को 20 -20 एमएल की मात्रा में 6ch कि पोटेंसी में लेनी है इसकी पोटेंसी का विशेष ध्यान रखें केवल 6ch पोटेंसी में ही लें साथ ही एक 100ml की खाली कांच की बोतल या सीसी भी आपको होम्योपैथी स्टोर पर आसानी से मिल जाएगी उसको भी ले आए ध्यान रहे उस खाली शीशी को अच्छी तरह से धो कर सुखा कर ही प्रयोग करें उसमें किसी भी प्रकार की कोई पहले से दवा या किसी भी दवा की गंध ना हो उसके बाद उन चारों दवाओं को उस कांच की बोतल में खाली करें और उस मिश्रण को अच्छी तरह मिलाएं करीब 70 80 बार हिलाने के बाद एक छोटी सी कांच की शीशी में भर ले जिसमें ड्रॉपर लगा हो ताकि दवा लेने में आसानी हो।
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दवा लेने का तरीका (how to use medicaion)–
इस दवा को दिन में 4 से 5 बार लेना है हर बार दवा की 2 बूंद जीभ पर डाले सीधे जीव के द्वारा लेने से दवा अधिक असर दिखाती है। कब तक लेनी है यह दवा (how long does this medicine)- इस दवा को लेने के बाद 1 से 2 हफ्ते में ही इस दवा से लाभ मिलना शुरू हो जाएगा लेकिन फंगल इनफेक्शन तथा त्वचा की सभी रोगों के समूल नाश के लिए इस दवा को 3 से 4 महीने तक बराबर लेना चाहिए जब तक पूरी तरह स्वस्थ ना होना पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद इस दवा का सेवन रोक दें।
नोट
नोट – फंगल इन्फेक्शन में एक बात का और ध्यान रखना है कि आप अगर नहाने के बाद सरसों का तेल लगाते हैं या कोई और भी तेल लगाते हैं तो कृपया ना लगाएं केवल नारियल का तेल लगाएं नारियल का तेल फंगस को फैलने से रोकता है।
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इस दवा का नुकसान (side effects of this medicine)-
यह होम्योपैथी दवा है जिसका हमारे शरीर पर कोई भी नुकसान नहीं होता है बस मात्रा का विशेष ध्यान रखें।
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