सरदारों से 12 बज गये क्या पूछने वाले लोगों का सिर शर्म से झुक जाएगा इस पोस्ट को पढ़ने के बाद

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दोस्तों नमस्कार indohindi.in पर आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत है आज हम बात करेंगे कि आखिर क्यों सरदारों से यह पूछा जाता है कि सरदार जी 12:00 बज गए क्या क्यों उनको कुछ नासमझ लोग उन्हें यह कहकर चिढ़ाते हैं नासमझ इसलिए कहा क्योंकि उन लोगों को सरदारों वाली वीर गाथाएं पता नहीं है यह पोस्ट पढ़ने के बाद उन सभी लोगों का सर शर्म से झुक जाएगा कृपया पोस्ट को पूरा अवश्य पढ़ें

क्यों सरदारों को 12:00 बज गए क्या कहकर चिढ़ाते हैं यह है बजह

सिख धर्म एक ऐसा धर्म है जिसने देश तथा धर्म की रक्षा के लिए अपनी पीढ़ियां कुर्बान कर दी देश के इतिहास में सिखों का अहम योगदान कौन नहीं जानता फिर भी कुछ ना समझ लो अपनी हरकतों से बाज नहीं आते इन सिखों को परेशान करते हैं बात उस समय की है जब भारत पर मुगल शासक नादिरशाह ने आक्रमण किया उसने दिल्ली को पूरी तरह बर्बाद कर दिया तथा लूटमार करके सारे देश में खौफ पैदा कर दिया नादिरशाह की सेना ने बड़े स्तर पर नरसंहार किया इसके साथ-साथ उसकी सेना ने महिलाओं को बंदी भी बना लिया इतिहासकारों के मुताबिक उस समय नादिरशाह की सेना ने लगभग 2000 से भी ज्यादा महिलाओं को बंदी बना लिया था जिस्म के भूखे मुगल भेड़िए उन महिलाओं की अस्मत को तार-तार करना चाहते थे लेकिन इन सिख वीरों ने इन विषम परिस्थितियों में भी अदम्य साहस का परिचय दिया तथा इन महिलाओं को नादिरशाह के चंगुल से आजाद कराने का फैसला किया लेकिन नादिरशाह की सेना बहुत बड़ी थी तथा ताकतवर भी थी इस वजह से उनको हरा पाना मुश्किल था लेकिन सिखों ने अपनी बौद्धिक क्षमता का इस्तेमाल करते हुए गुरिल्ला युद्ध रणनीति का सहारा लिया तथा गुरिल्ला युद्ध नीति अपनाते हुए रात में 12:00 बजे नादिरशाह की सेना पर आक्रमण किया और सफल हुए इसके बाद उन महिलाओं को मुगलों के चंगुल से छुडाने में सफल हुए उन महिलाओं को मुगलों के चंगुल से छुड़ाकर उनके घर सुरक्षित भेजा इस कार्य को करने में कई सिखों ने अपनी जान गवा दी चूंकि उन सिख वीरों मैं गोरिल्ला युद्ध नीति अपनाई थी जिसके तहत दुश्मन पर छिपकर वार किया जाता है गुरिल्ला युद्ध नीति देश के और भी कई शूर वीरों ने अपनाई है जब दुश्मन मैदान में हो तो उससे फर्क नहीं पड़ता हम किस नीति से युद्ध लड़ रहे हैं मुख्य काम होता है हमारा लक्ष्य हासिल करना जो कि उन सिख वीरों ने किया और उन बेबस महिलाओं को दुश्मन के चंगुल से आजाद कराया लेकिन इस बात को इतिहास के पन्नों में इतनी जगह नहीं दी गई कि लोग इस बात को जान सकें और लोग अनजाने में ही देश के इन वीर सपूतों का मजाक उड़ाते हैं आपका यह मजाक उस समय उन महिलाओं की रक्षा करने मैं कुर्बान हुए सिखों का अपमान है कृपया ऐसा बिल्कुल ना करें तथा इस बात को अपने सभी मित्रों रिश्तेदारों तक अवश्य फैलाएं जिससे कि किसी भी सिख भाई को हमारी अज्ञानता की वजह से शर्मिंदगी न झेलनी पड़े यह पोस्ट रुकनी नहीं चाहिए कृपया अधिक से अधिक शेयर करें

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दोस्तों नमस्कार मेरा नाम राहुल है मुझे नई नई जानकारियां एकत्र करना तथा आप लोगों के साथ शेयर करना पसंद है इस ब्लॉग पर हर रोज एक नया आर्टिकल पोस्ट करता हूं जो कि आपके लिए बहुत उपयोगी हो सकता है अगर आप भी indohindi.in की टीम में शामिल होना चाहते हैं तो आप हमें rahul@indohindi.in पर मेल कर सकते हैं

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