झांसी की रानी लक्ष्मी बाई का जीवन परिचय शौर्य गाथा तथा इतिहास

5/5 - (1 vote)

झांसी की रानी लक्ष्मी बाई का जीवन परिचय शौर्य गाथा तथा इतिहास –

दोस्तों नमस्कार indohindi.in पर आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत है आज हम बात करेंगे झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई जी की झांसी का नाम सुनते ही सबसे पहले दिमाग में महारानी लक्ष्मी बाई जी की छवि आ जाती है वहीं लक्ष्मीबाई जिसके साहस ने ब्रिटिश साम्राज्य की जड़ें हिला दी थी रानी लक्ष्मीबाई का लोहा पूरी दुनिया में माना जाता है महारानी लक्ष्मी बाई जी से संबंधित तथ्यों को आज भी लंदन के संग्रहालय में संजोकर रखा गया है महिला शक्ति की मिसाल महारानी लक्ष्मीबाई जिसने कि पूरे देश को गौरवान्वित किया तथा झांसी वासियों को गर्व से कहने का अधिकार दिया कि खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी ऐसी महान बाईसा को नमन करते हैं तथा आज हम जानेंगे झांसी की रानी लक्ष्मी बाई के जीवन से जुड़ी तमाम सुनी तथा अनसुनी कहानियां कृपया पोस्ट को आखिर तक अवश्य पढ़ें jhansi uttar pradesh झांसी के बारे मे सब कुछ इतिहास से लेकर भूगोल तक

बिषय सूची

महारानी लक्ष्मीबाई का इतिहास

नाम रानी लक्ष्मीबाई मणिकार्णिका तांबे
उपनाम मनु वाई
जन्म 19 नवंबर 1828
जन्म स्थान वाराणसी उत्तर प्रदेश भारत
पिता मोरोपंत तांबे
माता भागीरथी बाई
जाति मराठा ब्राह्मण
धर्म हिंदू
घराना मराठा साम्राज्य
विवाह 19 मई 1842
पति झांसी के राजा महाराज गंगाधर राव नेवालकर
संतान दामोदर राव (आनंद राव)
मुख्य कार्य 1857 का स्वतंत्रता संग्राम 
शौक घुड़सवारी तीरंदाजी
मृत्यु 18 जून 1858
मृत्यु स्थान कोटा की सराय ग्वालियर मध्य प्रदेश भारत

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का जीवन परिचय

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का जीवन परिचय -हम बात कर रहे हैं वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की जिन्होंने अपने साहस का लोहा ब्रिटिश हुकूमत से मनवा दिया और विश्व पटल पर छा गई और देश की तमाम महिला शक्ति को गौरवान्वित होने का अवसर दिया कि एक अकेली महिला कुछ भी कर सकती है उन्होंने कर दिखाया कि महिला केवल अबला नारी तक सीमित ही नहीं रहती जरूरत पड़ने पर नारी चंडी का रूप रखकर युद्ध क्षेत्र में भी तांडव कर सकती है आज उनके इसी शौर्य गाथा के दम पर झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को पूरे विश्व में मान सम्मान तथा आदर के साथ आज भी याद किया जाता है झांसी की रानी लक्ष्मीबाई समस्त महिला शक्ति के लिए एक रोल मॉडल हैं ।

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का शुरुआती जीवन

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का शुरुआती जीवन – झांसी की रानी लक्ष्मी बाई का जन्म 19 नवंबर 1828 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी के भदैनी नगर में हुआ था उनका बचपन का नाम मणिकार्णिका था उन्हें लोग प्यार से मनु कहकर बुलाते थे झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के पिता का नाम मोरोपंत तांबे था तथा उनके पिता बिठूर में न्यायालय में पेशवा थे मणिकार्णिका के पिता की सोच महिलाओं को स्वतंत्रता देने के पक्ष में थी उसी सोच का प्रभाव महारानी लक्ष्मीबाई के पूरे जीवन में देखने को मिलता है मनु के पिता की आधुनिक सोच ने हीं लक्ष्मी बाई को बचपन से ही और लड़कियों से अलग बनाया था महारानी लक्ष्मी बाई की माता का नाम भागीरथी बाई था जो कि एक धार्मिक तथा घरेलू महिला थी लेकिन महारानी लक्ष्मी बाई के जीवन में मां का सुख बहुत ज्यादा दिनों तक नहीं था जब महारानी लक्ष्मीबाई 4 वर्ष की थी तभी उनकी माता का देहांत हो गया था माता की मौत के बाद रानी लक्ष्मीबाई का लालन-पालन उनके पिता ने एक मां की तरह किया झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई के बारे में तो बचपन में ही ज्योतिषियों ने भविष्यवाणियां कर दी थी कि यह बड़ी होकर राजरानी बनेगी रानी लक्ष्मीबाई की कुंडली में राजयोग है तथा यह दुर्गा की तरह साहसी होगी जिसकी मिसाल पूरी दुनिया में कहीं जाएगी महारानी लक्ष्मीबाई ने पढ़ाई लिखाई के साथ-साथ आत्मरक्षा घुड़सवारी निशानेबाजी और घेराबंदी की ट्रेनिंग बचपन में ही ले ली थी तथा वे शस्त्र विधाओं में बहुत निपुण हो गई थी। रानी लक्ष्मी बाई का जीवन परिचय jhansi uttar pradesh झांसी के बारे मे सब कुछ इतिहास से लेकर भूगोल तक

झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई का बचपन

झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई का बचपन – मनु बचपन से ही मनमोहक छवि वाली तथा बेहद सुंदर थी उस सुंदरता की वजह से लोग उन्हें छबीली कहकर बुलाते थे मनु जब 4 साल की थी तो उनकी माता का देहांत हो गया मां के गुजर जाने के बाद मनु के पिता ने उन्हें बाजीराव के पास बिठूर ले गए जहां महारानी लक्ष्मीबाई मनु का बचपन बीता बिठूर में बाजीराव के पुत्रों के साथ मनु भाई बहन की तरह खेला कूदा करती थी तीनों साथ में खेलते तथा साथ में ही पढ़ते लिखते बाजीराव के पुत्रों की संगत में रहकर मनुबाई घुड़सवारी निशानेबाजी आत्मरक्षा घेराबंदी जैसी कलाओं की ट्रेनिंग भी ली इसके साथ ही शस्त्र विधाओं में भी निपुण हो गई मनु को बचपन से ही घुड़सवारी करना तथा शस्त्र चलाना बहुत पसंद था। ओरछा के राजकुंवर लाला हरदौल

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की शिक्षा

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की शिक्षा – जैसा कि आपने ऊपर पड़ा की महारानी लक्ष्मीबाई बिठूर में पेशवा बाजीराव के पास रहती थी जहां उनकी पढ़ाई लिखाई पेशवा बाजीराव के पुत्रों के साथ ही पूरी हुई और उनको एक शिक्षक घर पर पढ़ाने आते थे बाजीराव के पुत्र तथा रानी लक्ष्मीबाई एक साथ बैठकर सभी लोग एक साथ पढ़ते थे। रानी लक्ष्मी बाई का जीवन परिचय apj abdul kalam biography in hindi डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन परिचय

महारानी लक्ष्मी बाई की हिम्मत का एक बचपन का किस्सा

महारानी लक्ष्मी बाई की हिम्मत का एक बचपन का किस्सा – कहा जाता है कि होनहार बिरवान के होत चिकने पात यानी कि व्यक्ति के गुण उसकी प्रतिभा बचपन से ही छलक ने लगती है ऐसा ही एक किस्सा है उन्हें बचपन से ही चुनौतियों को स्वीकार करने मैं काफी मजा आता था उनका एक किस्सा आपको बताते हैं एक बार जब मनु यानी महारानी लक्ष्मीबाई घुड़सवारी कर रही थी तभी नाना साहब आ गए और मनु बाई से कहा कि अगर हिम्मत है तो मेरे घोड़े से आगे निकल कर दिखाओ मनु ने नाना साहब की चुनौती को मुस्कुराते हुए स्वीकार कर लिया तथा नाना साहब से घुड़सवारी में रेस लगाने के लिए तैयार हो गई नाना साहब का घोड़ा हवा के जैसे तेज गति से दौड़ रहा था और उसी के साथ साथ महारानी लक्ष्मीबाई का घोड़ा भी हवा से बातें कर रहा था देखते ही देखते मनु ने नाना साहब के घोड़े को पीछे कर दिया मनु को आगे निकलता देख नाना साहब ने मनु से आगे निकलने की बहुत कोशिश की लेकिन असफल रहे और आगे निकलने के चक्कर में वे घोड़े से नीचे गिर गए नीचे गिरते ही नाना साहब की चीख निकल पड़ी की मनु में मरा जिसको सुनते ही मनु ने अपने घोड़े को रोका तथा पीछे मुड़कर नाना साहब को अपने घोड़े पर बैठा कर अपने घर ले गई मनु के इस कारनामे को देखकर नाना साहब ने साबासी दी तथा मनु की घुड़सवारी की भी तारीफ की कहा कि मुझे तो पता ही नहीं था कि तुम इतना तेज घोड़ा दौड़ाती हो तुमने तो कमाल ही कर दिया तथा नाना साहब ने मनु की प्रतिभा को देखकर उन्हें शस्त्र विद्या भी सिखाई मनु ने नाना साहब से तलवार चलाना बंदूक से निशाना लगाना भाला बरछी फेंकना आदि सीखा इसके साथ साथ मनु व्यायाम में भी अलग प्रदर्शन करती थी कुश्ती मलखंब उनके पसंदीदा व्यायाम थे इस तरह महारानी लक्ष्मी बाई का बचपन बीता।

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का विवाह

source – https://jhansi.nic.in/ jhansi ka kila

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का विवाह – झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई का विवाह केवल 14 वर्ष की आयु में ही कर दिया गया था उत्तर भारत में स्थित झांसी के महाराज गंगाधर राव नेवालकर के साथ हुआ था इस तरह काशी की मनु झांसी की महारानी बन गई विवाह के बाद मनु का नाम लक्ष्मीबाई रखा गया वैवाहिक जीवन खुशियों से परिपूर्ण चल रहा था और उसी सुख के साथ उन्हें एक परम सुख की प्राप्ति भी हुई जिसका सपना हर एक माह देखती है सन 1851 में लक्ष्मीबाई तथा गंगाधर राव नेवालकर को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई जिसका नाम दामोदर राव रखा गया जीवन सुख में बीत रहा था लेकिन नियति को तो कुछ और ही मंजूर था और उनका पुत्र केवल 4 महीने ही जीवित रह सका जिससे कि पूरी झांसी पर गमों के बादल छा गए और पुत्र के वियोग में महाराज गंगाधर राव नेवलकर बीमार हो गए और 1 दिन महाराज गंगाधर राव नेवालकर तथा झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई ने मिलकर अपने एक रिश्तेदार के पुत्र को गोद लेने का फैसला किया पुत्र के उत्तराधिकारी होने पर कोई कानूनी दिक्कत ना हो इसके लिए उन्होंने पुत्र को गोद लेने की प्रक्रिया को ब्रिटिश कोर्ट में ब्रिटिश सरकार के अफसरों की मौजूदगी में पूरा किया आपकी जानकारी के लिए बता दें इस बालक का नाम पहले आनंद राव था जिसे बाद में बदलकर दामोदर रखा गया। रानी लक्ष्मी बाई का जीवन परिचय पाचन तंत्र को सही रखने के 15 मंत्र

झांसी के महाराज गंगाधर राव नेवालकर की मृत्यु –

झांसी के महाराज गंगाधर राव नेवालकर की मृत्यु –

पहले पुत्र के वियोग में महाराजा गंगाधर राव बीमार रहने लगे थे तथा लगातार बीमार ही बने रहे और 1 दिन महाराजा गंगाधर राव नेवलकर की तबीयत ज्यादा खराब हो गई और 21 नवंबर सन 1853 में उनकी मृत्यु हो गई झांसी के महाराजा गंगाधर राव नेवलकर की मृत्यु के समय झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की आयु महज 18 वर्ष की थी। पुरुषों के अंडरवियर कितने प्रकार के होते हैं What are the…

झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई ने राज्य संभाला

झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई ने राज्य संभाला – पहले पुत्र की मृत्यु का दर्द ठीक ही नहीं हो पाया था कि झांसी के महाराज गंगाधर राव नेवलकर की मृत्यु से झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई काफी आहत हो गई लेकिन उन्होंने इन कठिन परिस्थितियों में भी साहस तथा धैर्य से काम लिया उस समय उनके दत्तक पुत्र की आयु कम थी तो कानून के हिसाब से भी उत्तराधिकारी नहीं हो सकता था इस वजह से झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने खुद ही उत्तराधिकारी बन कर राज्य संभालने का फैसला किया उस समय लॉर्ड डलहौजी गवर्नर हुआ करता था कैजुअल और फॉर्मल वियर में अंतर Difference Between Casual and Formal…

रानी लक्ष्मीबाई के उत्तराधिकारी बनने को ब्रिटिश कोर्ट ने अस्वीकार किया

source – https://jhansi.nic.in/  रानी महल  

रानी लक्ष्मीबाई के उत्तराधिकारी बनने को ब्रिटिश कोर्ट ने अस्वीकार किया- झांसी की रानी लक्ष्मीबाई पर तो जैसे परेशानियों के पहाड़ टूट ते जा रहे थे शायद नियति को भी यही मंजूर था दरअसल जिस समय महारानी लक्ष्मीबाई ने झांसी का उत्तराधिकारी पद संभाला उस समय यह नियम था कि अगर पुत्र नहीं है तो राज ईस्ट इंडिया कंपनी में मिला दिया जाएगा इसी नियम के चलते महारानी लक्ष्मीबाई को काफी संघर्ष तथा ब्रिटिश सरकार के विरोध का सामना करना पड़ा ब्रिटिश सरकार ने राजा की मौत का फायदा उठाकर झांसी को ईस्ट इंडिया कंपनी में मिलाने की काफी कोशिश की लेकिन झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई के बुलंद इरादों ने उन्हें रोक रखा था ब्रिटिश सरकार ने तमाम हथकंडे अपनाए जिसके चलते रानी लक्ष्मीबाई के दत्तक पुत्र दामोदर राव के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया और तो और निर्दई ब्रिटिश हुकूमत ने राज्य के खजाने को भी ज़ब्त कर लिया और राजा गंगाधर राव नेवालकर ने जो कर्ज लिया था उसका पैसा महारानी लक्ष्मीबाई के सालाना आय से काटने का फैसला सुनाया और फिर महारानी लक्ष्मीबाई को झांसी का किला छोड़कर रानी महल में जाना पड़ा ब्रिटिश हुकूमत कैसे भी साम-दाम-दंड-भेद आदि इस्तेमाल करके झांसी पर आधिपत्य स्थापित करना चाह रही थी लेकिन यह रानी लक्ष्मीबाई की होते इतना आसान नहीं था। रानी लक्ष्मी बाई का जीवन परिचय हिंदू धर्म में सोलह संस्कार कौन कौन से होते हैं

जब ब्रिटिश सरकार ने झांसी को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाने की घोषणा की

जब ब्रिटिश सरकार ने झांसी को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाने की घोषणा की – तमाम कोशिशों के बाद जब रानी लक्ष्मीबाई झांसी राज्य को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाने के लिए तैयार नहीं हुई तो अंग्रेजी हुकूमत ने अपने शक्ति का इस्तेमाल करते हुए 7 मार्च 1854 को एक सरकारी गजट जारी किया जिसमें की झांसी को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाने की घोषणा की थी इस आदेश को ना मानते हुए झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई ने विरोध करते हुए कड़े शब्दों में कहा चाहे मेरी जान चली जाए लेकिन मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी यहीं से एक नई क्रांति जागी यहीं से एक नई तलवार चमकी जिसके बाद विद्रोह शुरू हुआ।

चमक उठी सन 57 में वह तलवार पुरानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी

चमक उठी सन 57 में वह तलवार पुरानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी – ब्रिटिश सरकार के गजट को देखने के बाद महारानी लक्ष्मीबाई ने आर-पार की ठानी और ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ विद्रोह की ज्वाला दहक उठी और झांसी को बचाने के उद्देश्य से महारानी लक्ष्मीबाई ने कुछ और राज्यों की मदद से अपनी एक सेना तैयार की जिसमें लोगों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया इस सेना में महिलाओं को भी शामिल किया गया था विशेष रूप से ट्रेनिंग दी गई और महारानी लक्ष्मीबाई की सेना अस्त्र शस्त्र में निपुण गुलाम गौस खान, दोस्त खान, खुदा बख्श, सुंदर मंदिर ,काशीबाई, मोतीबाई, लाला भाऊ बख्शी, दीवान रघुनाथ सिंह, दीवान जवाहर सिंह समेत 1400 और सैनिक शामिल थे। रानी लक्ष्मी बाई का जीवन परिचय

ब्रिटिश हुकूमत में सैनिक विद्रोह हुआ

ब्रिटिश हुकूमत में सैनिक विद्रोह हुआ –10 मई 1857 में ब्रिटिश हुकूमत में कार्यरत हिंदू सैनिकों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह शुरू कर दिया उन दिनों बंदूक की गोलियों में सूअर तथा गाय के मांस की परत चढ़ाई जाती थी और उन खोलो को मुंह से खोलना पड़ता था जब लोगों को यह बात पता चली तो लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो गई और इस विद्रोह में तेजी पकड़ ली इस आंदोलन में मुख्य रूप से मंगल पांडे की भूमिका रही और यह आंदोलन पूरे देश में फैल गया ब्रिटिश हुकूमत के ना चाहते हुए भी इस आंदोलन को दबाना पड़ा और कुछ दिन झांसी में शांति रही लेकिन मौका देखते ही ओरछा तथा दतिया के राजाओं ने भी झांसी पर आक्रमण कर दिया लेकिन महारानी लक्ष्मीबाई ने अपने रण कौशल तथा युद्ध नीति का परिचय देते हुए जीत हासिल की। सावधान अगर आपके घर में भी हैं काली तथा लाल चीटियां…

फिर एक बार 1858 में अंग्रेजों ने झांसी पर हमला किया-

मार्च 1858 से फिर एक बार झांसी पर कब्जा करने के इरादे से से अंग्रेजों ने झांसी पर आक्रमण कर दिया लेकिन फौलादी इरादों वाली झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई भी कहां डरने वाली थी उन्होंने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति तथा साहस के साथ अंग्रेजों का मुकाबला किया इस लड़ाई में तात्या टोपे के नेतृत्व में करीब 2000 सैनिकों ने लड़ाई एक साथ लड़ी तकरीबन यह लड़ाई हफ्तों तक चली अंग्रेजों के पास एक विशाल सेना थी इस लड़ाई में अंग्रेजों ने झांसी के किले की दीवार तोड़ दी और किले पर कब्जा कर लिया और अंग्रेजों से और अंग्रेजी सैनिकों ने झांसी में भी लूटपाट शुरू कर दी रानी लक्ष्मीबाई ने इस संकट की घड़ी में भी साहस से काम लिया तथा अपने पुत्र दामोदर राव की रक्षा की। रानी लक्ष्मी बाई का जीवन परिचय

कालपी की लड़ाई

कालपी की लड़ाई – जब सन 1858 में अंग्रेजों ने झांसी पर कब्जा कर लिया तो महारानी लक्ष्मीबाई अपने दल बल के साथ कालपी गई यहां तात्या टोपे ने महारानी का साथ दिया और वहां के पेशवा ने रानी को कालपी में शरण दी तथा सैन्य मदद भी लक्ष्मीबाई को दी 22 मई 1858 को अंग्रेजी शासक सर हूय रोज ने कालपी पर हमला कर दिया और रानी ने अपने अदम्य साहस का परिचय देते हुए अंग्रेजों को धूल चटा दी और अंग्रेजों को पीछे हटना पड़ा अंग्रेजों के हार जाने के बाद सर हुए रोज ने कालपी पर फिर से हमला कर दिया लेकिन दुर्भाग्य से इस बार वे जीत गए।

लक्ष्मीबाई ने ग्वालियर का राज्य पेशवा को सौंपा –

लक्ष्मीबाई ने ग्वालियर का राज्य पेशवा को सौंपा –कालपी में मिली हार के बाद राव साहब पेशवा बंदा नवाब तात्या टोपे और अन्य योद्धाओं ने लक्ष्मीबाई को सुझाव दिया कि अगर उन्हें अपनी मंजिल पर पहुंचना है तो उन्हें ग्वालियर पर अधिकार स्थापित करना होगा हमेशा बुलंद हौसलों की मालिक वीरांगना लक्ष्मीबाई तात्या टोपे के साथ मिलकर ग्वालियर के महाराजा के खिलाफ लड़ाई की जो कि अंग्रेजों के पक्ष में थे तात्या टोपे ने पहले ही ग्वालियर की सेना को अपनी ओर मिला लिया था और इस लड़ाई में रानी लक्ष्मीबाई ने ग्वालियर के किले पर जीत हासिल की और उन्होंने ग्वालियर राज्य पेशवा को सौंप दिया।

महारानी लक्ष्मी बाई की मृत्यु झांसी की रानी की मौत कैसे हुई

महारानी लक्ष्मी बाई की मृत्यु– झांसी की रानी की मौत कैसे हुई 17 जून सन 1858 में महारानी लक्ष्मीबाई ने किंग्स रॉयल आयरिश के खिलाफ युद्ध लड़ा और ग्वालियर के पूर्वी क्षेत्र वाला मोर्चा संभाला इस युद्ध में रानी की सेविकाओं ने भी उनका साथ निभाया झांसी की रानी के घोड़े का नाम क्या था रानी का एक घोड़ा था राजरतन जो कि पिछले युद्ध में मारा जा चुका था इस युद्ध में रानी के पास नया घोड़ा था महारानी अंग्रेजों के साथ युद्ध करते हुए परिस्थिति को भाप गइ थी की यह उनका अंतिम युद्ध है लेकिन फिर भी वह पूरे साहस तथा वीरता के साथ युद्ध करती रहीं इस युद्ध में भी वीरांगना महान लक्ष्मीबाई बुरी तरह घायल भी हो चुकी थी रानी पुरुषों की पोशाक पहने हुए थी अतः लोगों की पहचान में नहीं थी और वह घायल होकर घोड़े से नीचे गिर गई अंग्रेज उन्हें पहचान नहीं पाए और उन्हें छोड़ कर चले गए इसके बाद लक्ष्मी बाई के सैनिक उन्हें पास गंगादास मठ ले गए और उन्हें गंगाजल दिया महारानी लक्ष्मीबाई ने अपनी अंतिम इच्छा बताते हुए कहा कि कोई भी अंग्रेज मेरे शरीर को हाथ ना लगा पाए और इस तरह महारानी लक्ष्मीबाई ने 17 जून 1858 को कोटा के सराय के पास फूल बाग ग्वालियर मे वीरगति को प्राप्त कर लिया रानी लक्ष्मीबाई के पास ना तो विशाल सेना थी ना ही साधन थे फिर भी उन्होंने अंग्रेजों का डटकर मुकाबला किया अंग्रेजों को परास्त भी किया झांसी की रानी लक्ष्मी बाई का बलिदान पूरा देश याद रखेगा रानी लक्ष्मी बाई का जीवन परिचय

रानी लक्ष्मी बाई पर सुभद्रा चौहान जी द्वारा लिखी गई प्रसिद्ध कविता है

रानी लक्ष्मी बाई पर सुभद्रा चौहान जी द्वारा लिखी गई प्रसिद्ध कविता है

सिंहासन हिल उठे, राजवंशो ने भृकुटी तानी थी।

बूढ़े भारत में भी आई, फिर से नयी जवानी थी।

गुमी हुई आज़ादी की कीमत, सबने पहचानी थी।

दूर फिरंगी को करने की, सबने मन में ठानी थी।

चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी।

बुंदेले हरबोलों के मुह, हमने सुनी कहानी थी।

खुब लढी मर्दानी वह तो, झाँसी वाली रानी थी!!

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की कुछ मुख्य विशेषताएं

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की कुछ मुख्य विशेषताएं

  • लक्ष्मीबाई रोजाना व्यायाम तथा योगाभ्यास करती थी
  • लक्ष्मीबाई अपनी प्रजा से बेहद प्यार करती थी तथा उन्हें प्रजा से बेहद लगाव था
  • लक्ष्मीबाई गुनाह करने वालों को उचित सजा देने की हिम्मत रखती थी
  • लक्ष्मी बाई सैन्य कार्यों में बहुत निपुण थी तथा हमेशा तैयार रहती थी
  • रानी लक्ष्मीबाई को घुड़सवारी का अच्छा अनुभव था बड़े बड़े राजा भी उनकी प्रशंसा करते थे।

– Hindi Movie 9xmovies 2020 Movies Download 9xMovies 2020 new trick 9xmovies in Hindi 9xmovies New Link 2020 20 Websites to Download Hollywood Hindi Dubbed Movies Alt Balaji Amazon Prime Video Big flix Bihari Braj Mein Bollywood Full Movies Download Full HD Movies from 9xMovies Download Tamil fashion Hollywood Hindi Dubbed Movies fast download Hotstar IRCTC Jabse Banke BIhari Humare Hue Jabse Vrindavan Mein Aana Jaana Hogaya Jogan Bhes Banaya Latest HD Tamil Live TV Netflix retail in hindi Saanson Ki Maala Sadhguru Hindi Shri Gaurav Krishna Goswami SHRI KUNJBIHARI ASHTAK spirulina capsule in hindi spirulina patanjali Tamilgun 2020 Tamilgun isaimini Tamilgun new movies 2020 Tamilgun new website link 2020 Tamil telugu malayalam HD movies download Telugu for Free 9xmovie 2020 Bollywood Hollywood Bhojpuri Hindi Dubbed HD Movies Download Online Telugu Malayalam movies download Tere Phoolon Se Bhi Pyar YouTube कवि अमन अक्षर कविता गिलोय के फायदे तथा नुकसान नाम वाले व्यक्ति रेसिपी शेरो शायरी

Sharing Is Caring:

दोस्तों नमस्कार मेरा नाम राहुल है मुझे नई नई जानकारियां एकत्र करना तथा आप लोगों के साथ शेयर करना पसंद है इस ब्लॉग पर हर रोज एक नया आर्टिकल पोस्ट करता हूं जो कि आपके लिए बहुत उपयोगी हो सकता है अगर आप भी indohindi.in की टीम में शामिल होना चाहते हैं तो आप हमें rahul@indohindi.in पर मेल कर सकते हैं

Leave a Comment